माता ब्रह्मचारिणी माँ दुर्गा का दूसरा रूप हैं और इनकी उपासना नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती हैं। इनके दांय हाथ में जप की माला और बांय हाथ में कमण्डल हैं। इन्होने भगवान शंकर को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी।अत: इन्हे तपश्चारिणी के नामे से भी जाता हैं। माँ ब्रह्मचारिणी की कृपा से मनुष्य को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है, तथा जीवन की अनेक समस्याओं एवं परेशानियों का नाश होता है।
इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं। इस चक्र में अवस्थित मनवाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है।
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इस मंत्र से माता ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करे
|| माता ब्रह्मचारिणी देवी मंत्र: ||
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
भारत सरकार का इरादा |
सम्पूर्ण स्वच्छता का वादा ||