सावन महीने में स्त्रियो द्वारा शिव जी को मनाने के लिए किया जाने वाला शिव जी का व्रत बहुत लोकप्रिय माना गया हैं| जिसमे स्त्रिया प्रात जल्दी उठकर स्नान करके शिव शंकर के मंदिर में शिव, पार्वती, गणेश और नंदी की पूजा अर्चना करती हैं| पूजा में शिव भोले के चरणो में पान सुपारी, लौंग, पंचमेवा, धूपदीप, इलायची, कमल गट्टा, धतूरा, अरक, विजया, विल्वपत्र, पंचाम्रत, पूर्वा, फूल, यागोपवीत, दक्षिणा, कलावा, मधु, दही, जल, दूध, चीनी, घी, और वस्त्रो के साथ पूजा करके सावन मास में हर सोमवार को शिव शंकर को प्रसन्न करती हैं|
मंदिर में स्त्रियो का शिव जी के गीतो और भजनो द्वारा जमकर न्रत्य और आरती की जाने पर शिव भोले का मंन मोहित होने से मन वांच्छित फल की प्राप्ति होती हैं| इस दिन ब्राह्मण द्वारा रुद्रवशेष का पाठ करने से घर में शांति रहना और दुख, पीड़ाओ का नाश हो जाए ऐसी मंगल कामना का स्त्रियो द्वारा किया जाना व्रत का मंगल स्वरूप माना गया हैं|
पूजा समाप्ति के दौरान स्त्रियो द्वारा एक समय का भोजन किया जाना व्रत की महिमा का सुंदर और प्रेम भरा अंश बताया गया| भजन समाप्ति के साथ रात को भगवान शिव भोले की महिमा और उनके द्वारा किए जाने वाले अदभुद और रस भरे कार्यो का बखान जागरण में किया जाता हैं| शिव जी के श्रावण महीने में व्रत के दिन अनेक स्थानो पर अलग अलग प्रकार के वस्त्रो का दान और महापुरूषो को खाना खिलाकर पुण्य कमाया जाना भी शिव जी को शोभान्वित कर देने वाला कार्य माना गया हैं |
इस दिन स्त्रियो का शिव जी की पूजा के साथ शिव मंदिर को सजाकर भक्तो के साथ शिव का मंगल गान करके शिव शंकर की भक्ति में मन और चित को लीन किया जाता हैं|
इस व्रत के दौरान गली मोहल्ले और सड़को पर शिव जी के गीतो में शिव भक्ति करती स्त्रियो का नाचना और लंबी कतारो में शिव मंदिर में दर्शको की भीड़ उमड़ती दिखाई देगी| सोमवार के व्रत की सुंदर परंपरा को निभाने में स्त्रियो की समस्त विचारधाराओ के साथ उनके पतियो के साथ मीठे और सच्चे प्रेम का प्रतिबिंब दर्शाया जाता हैं|