प्रकाशचंद गुर्जर की आवाज में बूढ़ो बनड़ो सॉन्ग शिव जी का राजस्थानी भजन हैं। इस गीत का निर्देशन चाँद ने किया हैं मारवाड़ी एल्बम का सॉन्ग अल्फ़ा म्यूजिक एण्ड फिल्म्स की ओर से प्रस्तुत हुआ हैं। एल्बम गीत के निर्माता गोपाल सैनी व बाबूलाल सैनी हैं।
इस गीत में शिव जी के विवाह का गुणगान किया हैं। शिव जी अपना रूप बदलकर जोग्या वेश में दूल्हे बनकर विवाह करने जा रहे हैं जंहा उनकी वेश भूषा को देखकर सभी लोग आश्चर्यचकित हो रहे हैं। उनके में संग में भूतो के टोले को देखकर सब इधर उधर भाग रहे हैं और बच्चो को उनके भय से नींद नहीं आ रही हैं।
बूढ़ो बनडो आगो रे जिकी डगमग हाले नाड
डगमग हाले नाड बनडा की डगमग हाले नाड
बूढ़ो बनडो आगो रे जिकी डगमग हाले नाड
हिमाचल राजा के माच्यो घणो ज़ोर को रोलो
एसो बिन्द आग्यो जीके संग भूता को टोलो
सारा गाँव का बात करे इने दोन्या बाग से काड
बूढ़ो बनडो आगो रे जिकी डगमग हाले नाड
धोली धोली ढाडी लटके लांबा लांबा केश
बनडो बनकर आग्यो जीको छ जोग्या को वेश
सखी सहेलिया बात करे इके कोन्या दाँत झाड़
बूढ़ो बनडो आगो रे जिकी डगमग हाले नाड
टाबर टोली भाग्या दौड़े आई कोन्या नींद
पार्वती ने ब्याहवा आग्यो साठ साल को बिन्द
राजा और रानी दोन्या के छिड़गी गहरी राड
बूढ़ो बनडो आगो रे जिकी डगमग हाले नाड
अल्फ़ा कैसेट्स बाजे बीरबल भजन लिखे छ खास
शंकर भोला की महिमा ने गावे छ प्रकाश
सबका मन में भावे जानी लियो कालजो काड
बूढ़ो बनडो आगो रे जिकी डगमग हाले नाड
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